तुम्हारे सम्बंध ही तुम हो || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2015)
2019-11-27 0 Dailymotion
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शब्दयोग सत्संग २८ जनवरी २०१५ अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग: अपने सम्बन्धों को कैसे सुधारें? क्या सम्बन्ध ही बंधन का कारण हैं? अपने आपको कैसे पहचानें? क्या सम्बन्ध ही एक मात्र तरीका है स्वयं को पहचानने का?